Epilepsy in hindi

Epilepsy in hindi:मिर्गी का दौरा क्या होता है?इसके कारण,उपचार और नुकसान

क्या होता है मिर्गी का दौरा?-What is an epileptic seizure-Epilepsy in hindi

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  • मिर्गी का दौरा यानी की एपलेप्सी की बीमारी में, झटके या दौरे आना, फ़िट्स और कन्वल्शंज़ आना या  बेहोश होना इसके कुछ विशिष्ट लक्षणों में से एक होते हैं। 
  • यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर या दिमाग़ से सम्बंधित बीमारी होती है, जिसमें दिमाग़ के अंदर के सर्किट में अधिक स्पार्किंग होती है।
  • यह कोई भूत-प्रेत की बीमारी नहीं होती है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसका अगर सही तरीक़े से पता लगाया जाए और इलाज कराया जाए, तो ठीक हो सकती है।

मिर्गी के दौरे के कारण:Causes of epileptic seizures-Epilepsy in hindi

मिर्गी के दौरे (Epilepsy in hindi)इन सब स्थितियों में पाए जाते हैं। वह स्थितियाँ होती हैं बेहद तनाव में आना, दवा लेना भूल जाना, नींद की कमी होना, हॉर्मोन में बदलाव होना, ज़्यादा शराब पीना, ब्लड शुगर गिर जाना, रक्तचाप या ब्लड प्रेशर गिर जाना, अंधेरे से बेहद रोशनी में आजाना  इत्यादि।

मिर्गी के दौरे के लक्षण:Symptoms of epileptic seizures-Epilepsy in hindi

मिर्गी के दौरों के यह निम्न लक्षण होते हैं:

  • आंखों के आगे अंधेरा छाना।
  • शरीर का अकड़ जाना।
  • दांत चबा देना।
  • मुंह से झाग आना।
  • अचानक गिर जाना।
  • बेहोश हो जाना।
  • आंखों की पुतलियों ऊपर की तरफ खिंचना।
  • हाथ या पैर का लगातार चलना या झटके मारना।
  • ख़ुद के होंठ या जीभ काट देना।

मिर्गी के दौरों की वजह:Causes of epileptic seizures-Epilepsy in hindi

दौरों के यह निम्न कारण हो सकते हैं:

  • जेनेटिक: जब जींस में गड़बड़ी हो या दिमाग़ के नर्व्ज़  या नसों में दिक्कत हों।
  • संक्रमण: बच्चे के जन्म के समय उसे पीलिया हो या उसे कोई भी संक्रमण हो जाए, जिससे कि मस्तिष्क को अच्छे से ऑक्सिजन नहीं मिली हो।
  •  सर पर चोट: कभी किसी दुर्घटना या किसी चोट की वजह से सर पर चोट लग जाना ।
  • ब्रेन स्ट्रोक या टूमर: जब ब्रेन स्ट्रोक या फिर टूमर की समस्या हो जाना।
  • गर्भ में चोट: माँ के पेट में बच्चे को चोट लग जाना। 
  • ऑटिज़म : यदि ऑटिज़म हो तो बच्चे को दौरा आना सम्भव है।
  • बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने पर अगर दिमाग सुस्त पड़ गया हो।
  • टेपवर्म: यदि न्यूरोसाइटिसरकोसिस (NCC) यानी दिमाग में टेपवर्म (कीड़ा) चला गया हो।
  • ब्रेन टीबी: अगर दिमाग की टीबी हो गई हो।
  • कैल्शियम और सोडियम की कमी से भी छोटे बच्चों में दौरा पड़ सकता है।

नोट: NCC से बचने के लिए फल और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर खाएं। सब्जियों को 15 मिनट नमक के गुनगुने पानी में भिगोकर रखें। कच्चा सलाद न खाएं।

मिर्गी के दौरे के निदान:Diagnosis of epileptic seizures

इसके डाययग्नोसिस या निदान में हमें यह जानना बहुत ज़रूरी है , की हमें पता होना चाहिए की जब दौरे आते हैं, तो मरीज़ के क्या लक्षण होते हैं।

इसी वजह से आजकल डॉक्टर परिवार जनों को कहते हैं की अगर वो अपने फ़ोन से मरीज का विडीओ बना सकें, तो डॉक्टर को बहुत मदद मिलती है।

उसके अलावा कुछ टेस्ट होते हैं, जैसे की MRI और EEG जिससे चिकित्सक को डाइअग्नोस डायगनोज़ करना बहुत आसान होता है।

मिर्गी के बचाव के उपाय:Epilepsy prevention measures

वैसे मिर्गी से बचाव की बात करें, तो हमारे पास इसका कोई रास्ता नहीं है, लेकिन कुछ चीज़ों का ध्यान रखकर आप जोखिमों से दूर ज़रूर रह सकते हैं।

  • संतुलित आहार लें।
  • पर्याप्त नींद लें।
  • नशीले पदार्थों (ड्रग्स) का उपयोग न करें।
  • गाड़ी चलाते वक्त हेलमेट का इस्तेमाल करें, ताकि एक्सीडेंट होने पर दिमागी चोट लगने का जोखिम कम रहे।

मिर्गी की बीमारी और इंसानी शरीर इतने जटिल है, कि उन्हें पूरी तरह समझ पाना हमारे लिए काफ़ी कठिन है। पर फिर भी इस लेख में हमने उसे पूरी तरह से समझने का प्रयास किया है। हम आशा करते हैं की मिर्गी की समस्या से जूँझ रहे किसी इंसान के लिए यह लेख मददगार रहा होगा।

मिर्गी के दौरे के ट्रीटमेंट या दवाइयाँ:Epileptic seizure medications or Treatment

  • आजकल काफ़ी नयी दवाइयाँ आरही हैं जिनके साइड-इफ़ेक्ट्स या दुष्प्रभाव बिलकुल ना के बराबर हैं।
  • काफ़ी लोग इस बारे में पूछते हैं की उनकी दवाई कितने समय तक चलेगी, पर एक बात उन्हें समझनी चाहिए, की हर रोगी की दवाई अलग हिसाब से चलती हैं।

दवाइयों का सेवन:

  • जैसा कि पहले कहा गया कि हर मरीज़ की दवाई उसकी बीमारी पर निर्भर करती है।
  • कुछ मरीज़ों की दवाई कुछ हफ़्तों से महीने तक चलती है।
  • कुछ मरीज़ों में तीन महीनों से साल चलती है।
  • कुछ मरीज़ों में तीन साल से पाँच साल चलती हैं।
  • कुछ मरीज़ों में यह जीवन भर चलती हैं।

सर्जरी:

  • कुछ मरीज़ों में दवाई बंद होने के बाद भी दौरे बड़ते हैं। ऐसे में चिकित्सक एक विडीओ टेस्ट करते हैं और पता लगाते हैं की दिमाग़ के किस भाग से यह दौरा आरहा  है। फिर एक सर्जरी से उस भाग पर काम होता है।
  • आजकल सर्जरी से काफ़ी मरीज़ों की बीमारी ठीक होती है।

मिर्गी के दौरों से जुड़ी गलतफहमियाँ:Misconceptions related to epileptic seizures

  • इस बीमारी से जुड़ी सबसे बड़ी दुःख की बात यह है की इससे पीड़ित क़रीब सत्तर प्रतिशत मरीज़ ग्रामीण इलाक़े में रहते हैं। वहाँ अब भी लोग झाड़-फूँक में भरोसा करते हैं। दौरों के बाद किसी ‘सामाजिक आत्मा’ के डर से परिवार का सामाजिक बहिष्कार होता है।
  • उससे बचने के लिए किसी ओझा के बेबुनियाद इलाज पर भरोसा किया जाता है। इससे मरीज़ को सही उपचार मिलने में देरी होती है, और वो और बीमार हो जाता है।
  • मस्तिष्क इलेक्ट्रोकेमिकल एनर्जी का इस्तेमाल करता है, इसीलिए दिमाग़ के इलेक्ट्रिक प्रतिक्रिया कोई भी रुकावट उसकी कार्यप्रणाली को धीरे कर देता है।

मिर्गी के दौरे से जुड़े मिथक और तथ्य: Myths and facts related to epileptic seizures

1.मिथक: ‘मिर्गी ऊपरी हवा या जादू-टोने के कारण होती है।’
  • तथ्य: मिर्गी के रोग का सम्बंध किसी जादू-टोने से नहीं होता है। यह एक चिकित्सीय समस्या है। यह एक ऐसा रोग है, जो दिमाग़ में शॉर्ट सर्किट होने से होता है, जिसके कारण मरीज़ को दौरे 
  • पड़ते हैं।
2.मिथक: ‘मिर्गी एक गंभीर संक्रामक रोग है।’

तथ्य: मिर्गी एक संक्रामक रोग नहीं है और इसमें मरीज़ के किसिके संपर्क में आने से नहीं फैलता है। इस रोग से पीड़ित लोग साधारण वैवाहिक जीवन जी सकते हैं। यह बीमारी किसी भी प्रकार के शारीरिक सम्बंध या सोआरश से नहीं फैलता है।

इस रोग का मां से शिशु का होने की आशंका सिर्फ़ 5 फीसदी होती है।

3.मिथक: ‘मिर्गी एक जन्मजात रोग है’

तथ्य: किसी को किसी भी समय मिर्गी रोग हो सकता है। कुछ में यह बचपन से ही होता है तो कुछ में वयस्क होने पर पहला दौरा पड़ता है। वैसे जेनेटिक कारण एक ज़रूरी कारण होता है, लेकिन मिर्गी के और भी अहम कारण होते हैं, जैसे सिर में लगी गहरी चोट, ब्रेन ट्यूमर और स्ट्रोक। 

ज़्यादातर  मामलों (लगभग 65-70%) में बीमारी की वजह का पता नहीं चलता है। 

4.मिथक: ‘मिर्गी से दिमाग़ धीरे चलने लगता है।’

तथ्य: मिर्गी के मरीज़ों (Epilepsy in hindi)की बुद्धि का स्तर वैसा ही जोता है, जैसा कि किसी आम इंसान का होता है। यह बात ज़रूर है की दवाइयों के सेवन की वजह से, वह जल्दी थकने लगते हैं या उन्हें नींद आने लगती है, पर यह कुछ समय के लिए हाई होता है।

5.मिथक: ‘मिर्गी आक गंभीर बीमारी है, जिसमें बार-बार दौरे पड़ते हैं।’

तथ्य: अलग-अलग इंसानों में यह बीमारी अलग तरीक़े से होती है। किसी को बार-बार दौड़े पड़ते हैं, तो किसी को काम बार और कुछ तो इसको ऐसे सम्भाल लेते हैं, की उन्हें दौरे पढ़ते ही नहीं।  

ज़रूरत की बात यह है की अलग-अलग इंसानों में मिर्गी अलग प्रकार की होती है।

6.मिथक: ‘मिर्गी रोगी सामान्य जीवन नहीं जी सकते।’

तथ्य: मिर्गी के मरीज़ को ना तो पढ़ाई में और ना ही  काम पर कोई असर पड़ता है। यह मरीज़ सामान्य इंसान की तरह शादी भी कर सकते हैं। यह अपना परिवार भी बना सकते हैं।

मिर्गी किसी और बीमारी की तरह एक सामान्य चिकित्सीय स्थिति है, और इसका इलाज किया जा सकता है।

बस इन मरीज़ों को ड्राइविंग और स्विमिंग से दूर रहने को कहा जाता है। 

7.मिथक: ‘मिर्गी के रोगी को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।’

तथ्य: अकसर मिर्गी की बीमारी एक इमर्जन्सी नहीं होती है। पर अगर कोई दौरा पाँच मिनट से लम्बा चला, या यह लम्बे वक़्त तक चलता रहा तो आपको नज़दीकी डॉक्टर को सूचित करना चाहिए।

8.मिथक: ‘दौरा पड़ने पर तुरंत ही उसको जूता सूँघना चाहिए या मुंह में चम्मच या उंगली डाल देना चाहिए।’

तथ्य: यह कभी नहीं करना चाहिए। ऐसी हालत में मरीज़ होश खो बैठता है और कुछ भी बहुत ज़ोर से चबाता है। इससे उसके दाँतों और मसूड़ों को नुक़सान पहुँच सकता है। 

अच्छा तरीक़ा है की मरीज़ के सिर को सहारा दें, उसे एक करवट पर लेता दें और इस बात का ध्यान दें कि वह अच्छी तरह साँस ले पारहा  है।

समस्या दवाइयों का पालन करने में:

  • एक दिक्कत जो काफ़ी मरीज़ पूछते हैं कि उन्हें हर रोज़ सुबह और शाम दवाई लेनी पढ़ रही है। वैसे यह बात तो है की समय पर दवा लेनी चाहिए। 
  • पर इसका यह मतलब नहीं की आप दस बजे मतलब दस बजे ही लेंगे। पाँच मिनट आगे या पीछे चल सकता है। आप दस मिनट , आधा घंटा या अघिकतर एक घंटा आगे या पीछे दवाई लेने से कोई ज़्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ता।
  • दिक्कत यह आती है जब आपको यह शक है की आपने सुबह दवा ली है की नहीं। ऐसे हाल में आप एक दवाई दो बार भी ले सकते हैं, बहुत ज़्यादा दिक्कत नहीं होगी। पर दवाई छोड़िए मत। इसके लिए या तो डायरी बनाकर रखिए या मोबाइल पर अलार्म लगाकर रखिए, जिससे कि दवाई लेना आसान हो जाए। अगर आपको दवाई लेते ही उलटी होजाती  है, तो दवाई वापस ले लीजिए।
  • एक और समस्या होती है की डॉक्टर अगर आपको दवाई देते हैं तीन महीने के लिए, और आपको कोई दिक्कत आजाती है दस दिन में ही, तो वो दवाई बंद कर देते हैं। ऐसा कभी ना करें। तीन महीने की दवाई जारी रखें।
  • एक और समस्या आती है की कुछ लोग दवाई ख़ुद ही बंध कर देते हैं, यह कहकर कि दवाई के साइड-इफ़ेक्ट होंगे। ऐसा बिलकुल ना करें। डॉक्टर को अपनी अगली अपॉंट्मेंट तक ख़ुद ही देखने दीजिए। 

डॉक्टर दवाई हमेशा कम मात्रा से देना शुरू करते हैं, जिसके बहुत कम साइड-इफ़ेक्ट होते हैं। यदि कोई साइड-इफ़ेक्ट होते भी हैं, तो डॉक्टर को ख़ुद दवा बंध करने दीजिए। आप ख़ुद ना करें।

मिर्गी के दौरों के ख़िलाफ़ लड़ाई:Fight against epileptic seizures:-Epilepsy in hindi

  • मिर्गी के ख़िलाफ़ मरीज़ को ‘कॉन्फ़िडेन्स’ या आत्मविश्वास की ज़रूरत होनी चाहिए। हम इसे जीत सकते हैं।
  • विश्व के बहुत बड़े-बड़े और नामी लोगों को यह दिक्कत रही है। उनमे से कुछ हैं सिकंदर, सुकरात, न्यूटन इत्यादि।

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मेरा नाम रूचि कुमार है ‌‌‌मुझे लिखना बहुत ज्यादा अच्छा लगता है । मैं 10+ साल से लिखने की फिल्ड मे हूं ।‌‌‌आप मुझसे निम्न ई-मेल पर संपर्क कर सकते हैं। vedupchar01@gmail.com
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