Gallbladder Cancer in Hindi

Gallbladder Cancer in Hindi : पित्त कैंसर क्या है? जानिये इसके कारण, लक्षण और बचाव के उपाय

पित्त कैंसर की जानकारी: Information about Gallbladder Cancer

  • यह बीमारी , मुख्य तरीक़े से, एक छोटे से नाशपती के आकार का एक अंग में होता है। यह अंग, पेट के ऊपरी हिस्से में होता है। यह लिवर के बिलकुल नीचे उपस्थित  होता है। 
  • पित्ताशय में पित्त भरा होता है, जो खाने को पचाने में सहायता करता है। पित्ताशय या गॉल ब्लैडर, पित्त को छोटी आंत में छोड़ देता है। यह तभी हो पता है, जब बाइल डक्ट होता है। उसी की वजह से यह हो पाता है।
  • बाइल डक्ट एक पतली सी नली होती है, जो लिवर और पित्ताशय, या गॉल ब्लैडर को छोटी आंत से जोड़ती है। इसी प्रकार पित्ताशय, पित्त को मिलाकर, पाचन प्रणाली को नियंत्रित करता है। जब इन में अनियमित सेल्ज़ बनने लगते हैं, जो कि रुक ही नही पाते, तभी उसे कैन्सर कहा जाता है।
  • तो चलिए हैं इस लेख के माध्यम से हम यह जानने की कोशिश करते हैं, की पित्त कैन्सर के क्या-क्या कारण और लक्षण होते हैं। यह भी हम आपको बताएँगे कि इससे कैसे बचा जा सकता है।

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पित्त कैन्सर क्या होता है : What is Gall Bladder Cancer

हम आपको पहले ही बता चुके हैं, की इस बीमारी में, होता क्या है। चलिए अब बात करते हैं, इस अंग के बारे में। वैसे पित्ताशय एक उपयोगी अंग तो होता है, लेकिन इसकी बहुत ज़्यादा आवश्यकता नही होती है। इसके बग़ैर भी, इंसान साधारण तरीक़े से ज़िंदगी जी सकता है।-Gallbladder Cancer in Hindi

यदि इस  प्रकार के कैन्सर का पता शुरुआती स्टेज में चल जाए, तो काफ़ी कैन्सर के प्रकारों की तरह इसका उपचार सम्भव है। मगर अधिकतर मामलों में, इसका पता बाद में ही चलता है, जब इसका उपचार कठिन होता है। पर इसी वक़्त, इसके कोई ख़ास लक्षण नज़र नाही आते हैं। इस समय इसके कोई ख़ास लक्षण नज़र नही आते और इसे पहचानना भी मुश्किल होता है। इस बीमारी की सबसे विशेष बात यह होती है, की पित्ताशय की ख़ुद की पहचान भी शरीर में छिपी हुई रहती है। ऐसी हालत में इसका कैन्सर पहचानना बहुत कठिन हो जाता है।

पित्त के कैंसर की वजह : Reason Of Gallbladder Cancer in Hindi

पित्त के कैंसर के वजह नीचे दिए गए हैं:

  •  पित्त के सेल्ज के DNA में बदलाव|
  • पारिवार का इतिहास|
  • धुम्रपान
  • मोटापा  वजन बढ़ाने के घरेलू  नुस्खे
  • पक्रियास और बाइल डक्ट का अंतर|
  • शुगर
  • इन्फ़ेक्शन। 
  • शराब का इस्तेमाल|
  • उम्र और लिंग भी इसकी वजहों में से एक है|

पित्त कैंसर के लक्षण : Symptoms Of Gallbladder Cancer in Hindi

पित्त के कैंसर के लक्षण नीचे दिए गए है:

  • जी का मचलना।
  • पेट दर्द, विशेषकर पेट के ऊपर के दाएँ हिस्से में
  • पेट का फूल जाना।
  • खारिश या खुजली होना।
  • बुखार  आना।
  • भूख कम हो जाना।
  • बेकार में वजन कम होना।
  • आँखो का रंग सफ़ेद हो जाना।
  • त्वचा का पीला पद जाना|

पित्त कैंसर के चरण : Stage Of Gallbladder Cancer in Hindi

पहला पड़ाव :- इस पड़ाव में पित्त का कैंसर, पित्ताशय की थैली या गॉल ब्लैडर के अंदर के परतों तक ही घिरा हुआ रहता है|

दूसरा पड़ाव:- दूसरे पड़ाव में कैंसर, पित्ताशय की थैली से बाहर की परत में अंदर जाना शुरू करता है|

तीसरा पड़ाव:- इस पड़ाव में।, पित्त का कैन्सर, आस-पास के अंगों में फैलने लगता है, जैसे लिवर, छोटी आंत, पेट इत्यादि|

चौथा पड़ाव:- इस पड़ाव में काफ़ी ख़तरनाक चीज़ें जैसे बड़े ट्यूमर शामिल होते हैं, जो शरीर से दूर के हिस्सों में फैले होते है। यह किसी भी आकार के हो सकते है।

पित्त कैंसर की जांच : Checking Of Gallbladder Cancer

इस बीमारी को पहचानने के लिए यह निम्नलिखित परीक्षण किए जाते हैं:

  • CT Scan/ जाँच 
  • MRI 
  • अल्ट्रासाउंड का निरीक्षण 
  • चिकित्सा इतिहास
  • शारीरिक परिक्षण
  • लीवर और पित्ताशय थैली के टेस्ट 
  • कोलएनजियोग्राफी
  • एंजियोग्राफी
  • बायोप्सी

पित्त के कैंसर का इलाज : Treatment Of Gallbladder Cancer in Hindi

इस बीमारी के इलाज में सबसे बड़ा लक्ष्य होता है कि पित्त के कैन्सर को हता देना, मगर जब ये नही हो पाता तो, बीमारी को फैलने के कई और भी इलाज होते हैं। इसके साथ-साथ इस बीमारी में कीमोथैरेपी, रेडीएशन का इलाज, सर्जरी, क्लिनिकल ट्रायल इत्यादि भी होता है।

पित्त का कैंसर का उपचार कैसे किया जाता है? : How is Gallbladder cancer treated?

  • गॉलब्लैडर कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरपी, रेडीएशन और शल्य चिकित्सा की जाती है। यह भी हो सकता है की इलाज के तीनों विकल्पों का इस्तेमाल किया जाता है।
  • यह रोगी की उम्र और पूरे स्वास्थ्य पर भी डिपेंड करता है। गॉलब्लैडर और उसके साथ के के टिशू को हटाने के लिए की जाने वाली शल्य चिकित्सा  को ‘कोलसिसटेकटोमी’ कहते हैं। 
  • यह भी हो सकता है कि जो सर्जन है, वो गॉल ब्लैडर के साथ-साथ, उसके बग़ल में स्थित लिम्फ नोड्स को भी हटा देते हैं। पर यह बात इस बात पर भी डिपेंड करता है कि आपके शरीर में ये बीमारी फैली कैसी है।
  • गॉलब्लैडर कैंसर की पहले  चरण में पित्ताशय  के मैलिगनेंट की कोशिकाएँ (malignant cells) मिलते हैं, जिन्हें शल्य चिकित्सा से साफ़ किया जा सकता है।

चरणों या पड़ावों के हिसाब से उपचार के विकल्प:

शुरुआती के पड़ावों में शल्य चिकित्सा या सर्जरी की सहायता से गॉल-ब्लैडर को आराम से हटा दिया जाता है। अगर कैंसर के सेल्ज़ 

यह बीमारी, शुरुआती पड़ाव में , पित्ताशय के साथ-साथ, थोड़ा सा लिवर पर भी काफ़ी हद तक असर दिखा सकती हैं । ऐसे मामलों में, उसे भी सर्जरी की सहायता से निकाल दिया जाता है।

आगे चलकर, जब बाद के पड़ाव आते हैं, तब गंभीर हालत में कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी का उपयोग किया जाता है। कुछ केसेज़ में तो, दोनों का उपयोग किया  किया जाता है। इन चिकित्सा पद्धतियों की सहायता से कैंसर सेल्ज़ को निनिष्ट कर दिया जाता है।

कुछ सीरीयस मामलों की स्थिति में, पित्त की नलिकाओं में अवरोध आने की वजह से, पित्त के कैंसर की मुश्किलातों का डर बढ़ जाता है। कैंसर सेल्ज़ की वजह से आये  अवरोध को कुछ प्रसीजर की सहायता से अच्छा किया जा सकता है। 

जैसे कि, कई शल्य चिकित्सक या सर्जन, पित्त नलिकाओं को एक दूसरे से, वापस  जोड़ने के लिए, एक स्टेंट का उपयोग करते हैं। इसके साथ ही, इससे पित्त को पकड़ कर रखने में भी एक सहायता मिलती है।

कैंसर के बारे में कुछ और महत्वपूर्ण जानकारिया


मेरा नाम रूचि सिंह चौहान है ‌‌‌मुझे लिखना बहुत ज्यादा अच्छा लगता है । मैं लिखने के लिए बहुत पागल हूं ।और लिखती ही रहती हूं । क्योकि मुझे लिखने के अलावा कुछ भी अच्छा नहीं लगता है में बिना किसी बोरियत को महसूस करे लिखते रहती हूँ । मैं 10+ साल से लिखने की फिल्ड मे हूं ।‌‌‌आप मुझसे निम्न ई-मेल पर संपर्क कर सकते हैं। vedupchar01@gmail.com
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